मैहर रोपवे, व्यवस्था की चक्की में पिसते श्रद्धालु, सौदेबाज़ी का श्रद्धा मॉडल!
मैहर देवी धाम में आस्था की डोर अब “रोपवे माफिया” के पंजों में फँसी है। रोपवे संचालक और प्रशासन की मिलीभगत कोई रहस्य नहीं, बल्कि एक खुला खेल फर्रुख़ाबादी बन चुकी है। मैहर से भोपाल तक की सिस्टम-चेन में यह धंधा चल रहा है, जहाँ श्रद्धालुओं की पीड़ा से ज्यादा ज़रूरी है “हिस्सेदारी” का हिसाब!श्रद्धालु अपमानित हों, घंटों लाइन में लगे रहें या टिकट के नाम पर ठगे जाएं – साहबों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। क्यों रेंगे? जब शिकायतें रीवा के बड़े अधिकारियों के यहां कार्यालय की फाइलों में दम तोड़ देती हों और कार्रवाई की जगह चमचमाती चुप्पी पसरी हो! मैहर के कुछ अधिकारियों की श्रद्धा शायद देवी माँ में नहीं, रोपवे वालों की चढ़ाई गई “नजरानों” में है। यहां न्याय नहीं, “जुड़ाव” बिकता है। शर्म की बात ये कि आज तक कोई भी ईमानदार अफसर इस धंधे की गर्द साफ़ करने नहीं आया। अब सवाल ये है – श्रद्धालु मां के दरबार में जाएं या भ्रष्ट सिस्टम की बलि चढ़ें? आज एक बच्ची अनदेखी का शिकार हो गई और सिस्टम बेशर्मी के साथ मौन है|
मैहर नगरी में एक मां रो रही है, व्यवस्था सो रही है!