देवेन्द्र कुमार जिला ब्यूरो उमरिया
कच्छरवार गांव के हालात बने जनजीवन के लिए खतरा
उफनती नदी ने छीनी एक जान, स्कूली बच्चों और किसानों की ज़िंदगी दांव पर
उमरिया – ज़िला मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर स्थित कच्छरवार गांव इन दिनों प्रकृति और प्रशासनिक उपेक्षा के दोहरे संकट से जूझ रहा है। बरसात के चलते उफनती नदी गांव का बाकी दुनिया से संपर्क लगभग काट चुकी है। हाल ही में एक युवक की नदी पार करते वक्त मौत हो चुकी है, इसके बावजूद कोई स्थायी समाधान अब तक सामने नहीं आया है।
ग्रामीणों का कहना है कि पहले अस्थायी रपटा मार्ग से आना-जाना किसी तरह संभव था, लेकिन तेज बहाव में वह भी बह चुका है। अब हालात यह हैं कि छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल भेजना हो या किसी बीमार को अस्पताल ले जाना — हर बार परिजनों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है।
एम्बुलेंस तक नहीं पहुँच पा रही
ग्रामीण बताते हैं कि आपातकाल में भी गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुँच पा रही। मरीजों को चारपाई या बांस की सहायता से नदी पार कराना पड़ता है, जो खुद एक खतरा बन चुका है।
किसानों पर सबसे ज़्यादा असर
फसल में खाद डालने का समय है, लेकिन रपटा न होने के कारण किसानों को खेतों तक पहुँचने के लिए दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे उनकी जान को हर दिन खतरा बना हुआ है।
ग्रामीणों की माँग: अस्थायी नहीं, सुरक्षित समाधान चाहिए
ग्रामीणों की स्पष्ट मांग है कि जब तक पक्के पुलिया का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक प्रशासन कोई वैकल्पिक सुरक्षित मार्ग या मजबूत रपटा बनाए, जिससे जनजीवन फिर से सामान्य हो सके। उनका कहना है कि एक और जान गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
प्रशासन मौन, ग्रामीण त्रस्त
अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेता है। क्या एक और हादसे का इंतजार किया जा रहा है?