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श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित जन्म की सुनाई कथा

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उमरिया – जनपद पंचायत करकेली अंतर्गत ग्राम सिंहपामर में ओमप्रकाश सिंह राजपूत के निज निवास पर चल रही सात दिवसीय संगीत मय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित की कथा सुनाई

श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से राजा परीक्षित के जन्म की कथा इस प्रकार है महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के सभी मृत्यु हो गई थी, उत्तर के गर्भ भगवान श्री कृष्ण ने अपने विराट रूप का दर्शन देकर परीक्षित की रक्षा की थी और उसे जीवित किया था अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से परीक्षित का जन्म हुआ था तो के गर्भ में था और उसे जीवित किया गया था
कथावाचक भागवत आचार्य श्री शालिग्राम तिवारी महाराज जी ने कहा कि जन्म जन्मांतर और युग युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है। तब ऐसा स्थान होता है श्रीमद् भागवत कथा सुनने से पापी भी पाप से मुक्त हो जाते हैं। वेदों का सर युगो युगो से मानव जाति तक पहुंचना रहा है भागवत महापुराण उसी सनातन ज्ञान प्रवाह है, जो वेदों से प्रभावित होती चली आई है इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का कर कहा गया है। उन्होंने कहा है युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने पर उनके पुत्र अश्वत्थामा क्रोधित होकर पांडवों को करने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया वहीं दूसरी और अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा के गर्भ है से परीक्षित का जन्म हुआ
आयोजन समिति के सदस्य- जय सिंह,गेंदलाल सिंह, चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि सात दिन श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के बाद सोमवार को हवन यज्ञ किया जाएगा तपश्चात प्रसाद वितरण का कार्य किया जाएगा
इस अवसर पर श्रद्धालू उपस्थित रहे
कथा समापन के वाद प्रसाद वितरित किया गया वहां आए हुए श्रद्धालु बड़े भाव के साथ प्रसाद ग्रहण किया।।

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